Thursday 5 January 2023

रीज़नल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम (RRTS) के प्रायोरिटी सेक्शन में एक और पड़ाव हुआ पार, पहली बार ट्रैक पर आई रैपिड ट्रेन


नए साल में दुहाई डिपो से गाजियाबाद तक 25 केवी क्षमता पर चार्ज हुई ओएचई

- ट्रेन चलाकर किया गया ओएचई का सफल परीक्षण

दुहाई डिपो से गाजियाबाद की ओर जाती देश की पहली रैपिड ट्रेन

नए साल में प्रायोरिटी सेक्शन में देश की प्रथम रीजनल रेल को चलाने के लिए दुहाई डिपो से गाजियाबाद तक ओएचई को 25 केवी की क्षमता पर चार्ज किया गया। इस प्रक्रिया में, चार्ज की गई ओएचई के परीक्षण के लिए आरआरटीएस ट्रेन को गाजियाबाद तक चला कर देखा गया जो सफल रहा। जल्द ही, प्रायोरिटी सेक्शन के बाकी बचे हिस्से में भी ओएचई को चार्ज कर दिया जाएगा। 

#आरआरटीएस नेटवर्क के परीक्षण की प्रक्रिया में पहले इसके सभी तत्वों की अलग-अलग जाँच की जाती है। इसके सफल होने के बाद इसके सभी सब-सिस्टम, यानी रोलिंग स्टॉक, ओएचई, ट्रैक और टेलिकॉम एवं सिग्नलिंग के साथ-साथ स्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स आदि की एक दूसरे के साथ अनुकूलता की जाँच करने के लिए उनका एकीकृत रूप में परीक्षण किया जाता है। वर्तमान में, इसी प्रक्रिया का संचालन किया जा रहा है।  प्रायोरिटी सेक्शन में ट्रैक बिछाने का कार्य पहले ही पूर्ण किया जा चुका है।


नव वर्ष में ओवर हेड इक्युप्मेंट (ओएचई) को दुहाई डिपो के फीडिंग पोस्ट से लेकर गाजियाबाद स्टेशन के पास बने फीडिंग पोस्ट तक 25 केवी की क्षमता के साथ चार्ज किया गया है। इसके परीक्षण के लिए ट्रेन को पहली बार डिपो से बाहर निकालकर गाजियाबाद तक लाया गया। परियोजना के लिए कार्यरत सभी इंजीनियरों, टेक्निशीयन, आर्किटेक्ट और कर्मचारियों के लिए यह एक अनोखा और पहला अनुभव रहा, जिसमें उन्होने देश की प्रथम रीजनल रेल के लिए ओएचई का परीक्षण किया और सफलता हासिल की।


ट्रैक और ट्रैकशन के परीक्षण की प्रक्रिया के दौरान ट्रेन को दुहाई स्टेशन से चलाकर गुलधर स्टेशन पर ले जाया गया जिसमें ट्रेन की रफ्तार 5 किमी प्रतिघण्टा तक रखी गयी। यहां तक ओएचई का प्रदर्शन सफल रहने के बाद ट्रेन को गाजियाबाद स्टेशन की ओर आगे बढ़ाया गया और स्टेशन से पहले बने क्रॉसओवर से ट्रेन को वापसी के लिए तैयार किया गया। इस दौरान ट्रेन को ऑपरेटर ने ट्रेन कंट्रोल मैनेजमेंट सिस्टम (टीसीएमएस) के तहत मैन्यूअल तरीके से चलाया।



गाजियाबाद से वापसी के दौरान ट्रेन को ओएएचई के परीक्षण के लिए 25 किमी की रफ्तार तक चलाया गया। वापसी में भी ट्रेन को पहले गुलधर स्टेशन और फिर दुहाई स्टेशन पर रोका गया और फिर दुहाई डिपो स्टेशन पर लाया गया। 


इस पूरे सेक्शन के ओएचई इंस्टालेशन का कार्य अंतिम चरण में पहुँच चुका है और जल्द ही प्रायोरिटी सेक्शन को पूर्ण रूप से चार्ज कर दिया जाएगा। अब जल्द ही हाई स्पीड ट्रायल रन की शुरुआत की जाएगी। 

उल्लेखनीय है कि प्रायोरिटी सेक्शन में इस वर्ष मार्च 2023 में ट्रेनों का संचालन आरंभ करने का लक्ष्य है। इस सेक्शन में पाँच स्टेशन हैं, साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई और दुहाई डिपो। ये सभी स्टेशन ट्रायल रन के लिए बनकर तैयार हो चुके हैं और वर्तमान में इनकी फिनशिंग की जा रही है।


उल्लेखनीय है कि 17 किमी लंबे प्रायोरिटी सेक्शन में इस वर्ष मार्च में आरआरटीएस ट्रेनें संचालित करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रायोरिटी सेक्शन को तेजी से तैयार किया जा रहा है। इस निर्माण कार्य में एनसीआरटीसी की टीमें रात-दिन कार्य में में जुटी हुई हैं।


एनसीआरटीसी भारत की प्रथम रीजनल #रैपिड #ट्रांजिट सिस्टम (#RRTS) का कार्यान्वन कर रहा है जो एक रेल-आधारित, हाई-स्पीड, हाई-फ़्रीक्वेंसी रीजनल कम्यूटर ट्रांज़िट सिस्टम है। इसकी डिज़ाइन गति 180 किमी प्रति घंटे और औसत गति 100 किमी प्रति घंटे है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन द्वारा संचालित, आरआरटीएस एनसीआर में परिगमन के ग्रीन मोड के रूप में काम करेगा। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) के उत्सर्जन और प्रदूषण को कम करना है।

Saturday 24 October 2020

what is #Podcasting & how it is effective? If you don't know then its for YOU क्या आप जानते हैं पाॅडकास्टिंग क्या है, अगर नहीं तो जरूर पढें और सुनें


 Do you know what is #Podcasting? If you don't know then its for YOU

क्या आप जानते हैं पाॅडकास्टिंग क्या है, अगर नहीं तो जरूर पढें और सुनें

-पाॅडकास्टिंग से अब लोगों को पढ़ने के बजाय सुनने को मिल रही जानकारी

 

पॉडकास्टिंग एक ऐसी कला है, जिसके जरिए हम अपने किसी संदेश को लिखित के बजाय ऑडियो फार्मेट में रिकॉर्ड करके अपने सुनने वालों तक पहुंचाते हैं। अब तब हम अधिकतर पढ़ने वाली जानकारी पर निर्भर होते थे, लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में #पॉडकास्टिंग की शुरूआत ने पुराने संचारगत तरीकों में बड़ा बदलाव दर्ज किया है। यह बिल्किुल ऐसा है कि हम जैसे समाचार पत्र को पढ़ने के बजाए इंटरनेट के जरिए सुनने लगें। इसकी खासियत यह है कि पॉडकास्टिंग में दी जा रही जानकारी को श्रोता अपने डिवाइस पर अपनी इच्छानुसार और सुविधानुसार डाउनलोड पर कर सकते हैं।

दिनों तक बढ़ती तकनीक संचार माध्यमों को और प्रभावी बना रही है और पॉडकास्टिंग भी इसका एक बेहतर उदाहरण है। पॉडकास्टिंग को बेहद मजेदार और जानकारी परक बनाने के लिए लोगों से जुड़े मुद्दों को पेश किया जाता है, ताकि लोगों में पॉडकास्टिंग के प्रति रुझान को बढ़ाया जा सके। पॉडकास्टिंग के लिए बेहद सरल और आकर्षक शब्द तकनीक के प्रयोग के साथ भाषा ज्ञान और शब्द उच्चारण सटीक होना भी आवश्यक है। जैसा कि हम जानते हैं कि समाचार पत्रों, टीवी चैनलों, डिजिटल मीडिया और विभिन्न ब्लॉगिंग साइट्स के बीच पॉडकास्टिंग भारत में उभरता हुआ एक ऐसा माध्यम है जो लोगों को जानकारी देने के तरीके को और भी आसान बना रहा है।

पॉडकास्टिंग में श्रोताओं को ऑडियो फार्मेट में जानकारी मिलती है, हालांकि यह सुनने में ऐसा लगता है जैसा कि हम रेडिया पर सुनते हैं, लेकिन यह रेडिया की लाइव प्रसारण से थोड़ा अलग है। पॉडकास्टिंग मुख्यतः इंटरनेट के प्रयोग से की जाती है, जिसके लिए इंटरनेट पर पॉडकास्टिंग प्लेटफार्म की जरूरत होती है। आसान शब्दों में कहें तो यह ऑडियो ब्लॉगिंग जैसा है। रेडियो सुनने के लिए लोगों को एफएम की जरूरत होती है और पॉडकास्टिंग को लोग इंटरनेट पर अपनी सुविधानुसार चुनते हैं। मीडिया के क्षेत्र में जिस तरह से बीट्स के तहत काम होता है वैसे ही पॉडकास्टिंग में एक फोकस श्रोतागण के लिए रोचक विषय का चयन करना भी बेहद आवश्यक होता है।

किसी प्रोडक्ट या किसी विषय विशेष के बारे में पॉडकास्टिंग करना ज्यादा प्रभाकारी होता हैं। पॉडकास्टिंग करते वक्त इस बात का ध्यान रखा जाना भी आवश्यक है कि उसमें खुद की बात ना की जाए, बल्कि जो श्रोता टारगेट है उसकी रूचि का ध्यान रखा जाए। जब विषय अच्छा होगा तो पॉडकास्टिंग की ज्यादा से ज्यादा लोगों में पहुंच होगी। ज्यादा से ज्यादा पहुंच होगी तो पॉडकास्टिंग का उद्देश्य पूरा होगा। इसके साथ ही यह भी ध्यान जाना आवश्यक है कि पॉडकास्टिंग में दी जा रही जानकारी बेहतर अंदाज में पेश की जाए और इसकी अवधि भी कुछ मिनटों में ही होनी चाहिए, ताकि श्रोता उसे कम समय में आनंद लेकर सुन सकें।